Got Forgiveness? How do I receive forgiveness from God (Elohim)?"
http://goo.gl/8UVqBv
http://goo.gl/x4NWkT
http://www.gotquestions.org/second-chance-salvation.html
13. तो हे राजा, मार्ग में दोपहर के समय मैं ने आकाश से सूर्य के तेज से भी बढ़कर एक ज्योति अपने और अपने साथ चलने वालों के चारों ओर चमकती हुई देखी।
14. और जब हम सब भूमि पर गिर पड़े, तो मैं ने इब्रानी भाषा में, मुझ से यह कहते हुए यह शब्द सुना, कि हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? पैने पर लात मारना तेरे लिये कठिन है।
15. मैं ने कहा, हे प्रभु तू कौन है? प्रभु ने कहा, मैं यीशु हूं: जिसे तू सताता है।
16. परन्तु तू उठ, अपने पांवों पर खड़ा हो; क्योंकि मैं ने तुझे इसलिये दर्शन दिया है, कि तुझे उन बातों का भी सेवक और गवाह ठहराऊं, जो तू ने देखी हैं, और उन का भी जिन के लिये मैं तुझे दर्शन दूंगा।
17. और मैं तुझे तेरे लोगों से और अन्यजातियों से बचाता रहूंगा, जिन के पास मैं अब तुझे इसलिये भेजता हूं।
18. कि तू उन की आंखे खोले, कि वे अंधकार से ज्योति की ओर, और शैतान के अधिकार से परमेश्वर की ओर फिरें; कि पापों की क्षमा, और उन लोगों के साथ जो मुझ पर विश्वास करने से पवित्र किए गए हैं, मीरास पाएं।
http://www.gotquestions.org/Hindi/Hindi-Got-Forgiveness.html
प्रश्न: मोक्ष की योजना क्या है?
http://www.gotquestions.org/Hindi/Hindi-plan-salvation.html
Yashaayah 43
11. maain hee Yahweh hoon aur mujhe chhod koi uddharakarta naheen.
Muslim Jihadist met the God of the Bible: Yahweh
Khalil - video - (from Islam to the true God (Elohim)
http://vimeo.com/4471823
Photo
http://goo.gl/UxGtxE
Hindu Brahmin - came to Lord Jesus Christ
http://youtu.be/dSOjNmAVqx0
40. सूरज डूबते समय जिन जिन के यहां लोग नाना प्रकार की बीमारियों में पड़े हुए थे, वे सब उन्हें उसके पास ले आए, और उस ने एक एक पर हाथ रखकर उन्हें चंगा किया।
41. और दुष्टात्मा चिल्लाती और यह कहती हुई कि तू परमेश्वर का पुत्र है, बहुतों में से निकल गईं पर वह उन्हें डांटता और बोलने नहीं देता था, क्योंकि वे जानते थे, कि यह मसीह है॥
हम बाइबल पर क्यों विश्वास करते हैं?
http://www.answering-islam.org/hindi/hambiblepar/pavitrbaibalparvishwaas.html
Matthew 16
13. यीशु कैसरिया फिलिप्पी के देश में आकर अपने चेलों से पूछने लगा, कि लोग मनुष्य के पुत्र को क्या कहते हैं?
14. उन्होंने कहा, कितने तो यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला कहते हैं और कितने एलिय्याह, और कितने यिर्मयाह या भविष्यद्वक्ताओं में से कोई एक कहते हैं।
15. उस ने उन से कहा; परन्तु तुम मुझे क्या कहते हो?
16. शमौन पतरस ने उत्तर दिया, कि तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है।
17. यीशु ने उस को उत्तर दिया, कि हे शमौन योना के पुत्र, तू धन्य है; क्योंकि मांस और लोहू ने नहीं, परन्तु मेरे पिता ने जो स्वर्ग में है, यह बात तुझ पर प्रगट की है।
Luke 9
21. तब उस ने उन्हें चिताकर कहा, कि यह किसी से न कहना।
22. और उस ने कहा, मनुष्य के पुत्र के लिये अवश्य है, कि वह बहुत दुख उठाए, और पुरिनए और महायाजक और शास्त्री उसे तुच्छ समझकर मार डालें, और वह तीसरे दिन जी उठे।
यूहन्ना 14
29. और मैं ने अब इस के होने से पहिले तुम से कह दिया है, कि जब वह हो जाए, तो तुम प्रतीति करो।
प्रश्न: अन्त समयो के क्या चिन्ह है?
http://www.gotquestions.org/Hindi/Hindi-signs-end.html
India Bibles: Hindi, English, Awadhi, Marathi, Mizo, Tamil, Telugu...
http://goo.gl/rvlJeE
The Holy Bible - KJV - (read online + download)
http://goo.gl/Cy4RUV
The Holy Bible - KJV - (download)
http://goo.gl/4dRfqK
The Holy Bible (online)
http://www.wordpocket.com/kj/
The Bible - New Testament - Audio mp3- (download)
http://www.mp3bible.ca/
http://www.gotquestions.org/Hindi/Hindi-attributes-God.html
The Gospel in Hindi Series Part #1: The Priority of the Gospel
Gospel in Hindi Series Part #2: All Have Sinned
The Gospel in Hindi Series Part #3: All have fallen short
The Gospel in Hindi Series Part #4: The cross of Christ
The Gospel in Hindi Series Part #5: The Meaning of the Resurrection (1)
The Gospel in Hindi Series Part #6: The Meaning of the Resurrection (2)
The Gospel in Hindi Series Part #7: The new nature of the true Christian (1)
The Gospel in Hindi Series Part #8: The new nature of the true Christian (2)
Stay away from the Catholics and Orthodox "christians", they don't listen and don't follow The Lord Jesus Christ.
They hate the words of Jesus Christ, The Gospel.
They are enemies against all real christians (evangelical).
Catholicism and Orthodox are pagans, demonic way, they have nothing in common with Jesus Christ. They are idolaters because they worship Mary, saints, images, statues, graves...
They persecuted evangelical Christians (disciples of The Lord Jesus Christ).
Catholic killed millions of people: jews, muslims, including many true Christians, and Orthodox persecuted in many countries disciples of Jesus Christ (evangelical christians who support Israel)
6. यहोवा, जो इस्राएल का राजा है, अर्यात् सेनाओं का यहोवा जो उसका छुड़ानेवाला है, वह योंकहता है, मैं सब से पहिला हूं, और मैं ही अन्त तक रहूंगा; मुझे छोड़ कोई परमेश्वर है ही नहीं।
7. और जब से मैं ने प्राचीनकाल में मनुष्योंको ठहराया, तब से कौन हुआ जो मेरी नाईं उसको प्रचार करे, वा बताए वा मेरे लिथे रचे अयवा होनहार बातें पहिले ही से प्रगट करे?
8. मत डरो और न भयमान हो; क्या मैं ने प्राचीनकाल ही से थे बातें तुम्हें नहीं सुनाईं और तुम पर प्रगट नहीं कीं? तुम मेरे साझी हो। क्या मुझे छोड़ कोई और परमेश्वर है? नहीं, मुझे छोड़ कोई चट्टान नहीं; मैं किसी और को नहीं जानता।।
9. जो मूरत खोदकर बनाते हैं, वे सब के सब व्यर्य हैं और जिन वस्तुओं में वे आनन्द ढूंढते उन से कुछ लाभ न होगा; उसके साझी, न तो आप कुछ देखते और न कुछ जानते हैं, इसलिथे उनको लज्जित होना पकेगा।
10. किस ने देवता वा निष्फल मूरत ढाली है?
11. देख, उसके सब संगियोंको तो लज्जित होना पकेगा, कारीगर तो मनुष्य ही है; वे सब के सब इकट्ठे होकर खड़े हों; वे डर जाएंगे; वे सब के सब लज्जित होंगे।
3. हमारा परमेश्वर तो स्वर्ग में हैं; उसने जो चाहा वही किया है।
4. उन लोगों की मूरतें सोने चान्दी ही की तो हैं, वे मनुष्यों के हाथ की बनाईं हुई हैं।
5. उनका मुंह तो रहता है परन्तु वे बोल नहीं सकती; उनके आंखें तो रहती हैं परन्तु वे देख नहीं सकतीं।
6. उनके कान तो रहते हैं, परन्तु वे सुन नहीं सकतीं; उनके नाक तो रहती हैं, परन्तु वे सूंघ नहीं सकतीं।
7. उनके हाथ तो रहते हैं, परन्तु वे स्पर्श नहीं कर सकतीं; उनके पांव तो रहते हैं, परन्तु वे चल नहीं सकतीं; और अपने कण्ठ से कुछ भी शब्द नहीं निकाल सकतीं।
8. जैसी वे हैं वैसे ही उनके बनाने वाले हैं; और उन पर भरोसा रखने वाले भी वैसे ही हो जाएंगे॥
9. हे इस्राएल यहोवा पर भरोसा रख! तेरा सहायक और ढाल वही है।
http://www.gotquestions.org/Hindi/Hindi-right-religion.html
प्रश्न: क्या क्राइस्ट की प्रभुता बाइबल है?
http://www.gotquestions.org/Hindi/Hindi-deity-Christ.html
प्रश्न: क्या मरणोपरान्त जीवन है?
http://www.gotquestions.org/Hindi/Hindi-life-after-death.html
प्रश्न: हमे बाइबल क्यो पढना और अध्यन करना चाहिए?
http://www.gotquestions.org/Hindi/Hindi-Bible-read.html
प्रश्न: क्या पाप की परिभाषा क्या है?
http://www.gotquestions.org/Hindi/Hindi-sin-definition.html
प्रश्न: क्या स्वर्ग के लिए यीशु ही एकमात्र मार्ग है?
http://www.gotquestions.org/Hindi/Hindi-Jesus-only.html
प्रश्न: जीवन का अर्थ क्या है?
http://www.gotquestions.org/Hindi/Hindi-meaning-life.html
प्रश्न: क्या यीशु परमेश्वर है? क्या यीशु ने कभी परमेश्वर होने का दावा किया है?
उत्तर: बाइबल में यीशु के बारे में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है कि उसने यथार्थ रूप से ये शब्द कहें, "मैं परमेश्वर हूँ ।" हाँलाकि इसका मतलब यह नहीं कि उसने यह ऐलान नहीं करा कि वो परमेश्वर है । उदाहरण के रूप में यूहन्ना १०:३० में यीशु के शब्दों को लें, "मैं और पिता एक है ।" पहली दृष्टि में, यह परमेश्वर होने के दावे के रूप में प्रतीत नहीं होता । कैसे भी, उसके कथन पर यहूदियों की प्रतिक्रिया को देखें, "यहूदियों ने उसको उत्तर दिया , कि भले काम के लिए हम तुझे पत्थर से नहीं मारते, परन्तु परमेश्वर की निन्दा करने के कारण, और इसलिए कि तू मनुष्य होकर अपने आप को परमेश्वर बताता है" (यूहन्ना १०:३३) ।
यहूदियों ने यीशु के कथन को परमेश्वर होने का दावा समझा था । निम्नलिखित पदों में यीशु ने यहूदियों को सुधारने के लिए कभी भी यह नहीं कहा, "मैंने परमेश्वर होने का दावा नहीं किया था ।" यह संकेत देता है कि यीशु यह घोषणा करते हुए कि "मैं और पिता एक हैं" (यूहन्ना १०:३०) सच मे ही कह रहा था कि वो परमेश्वर है । यूहन्ना ८:५८ एक अन्य उदाहरण है । यीशु ने कहा, "मैं तुम से सच-सच कहता हूँ; कि पहले इसके कि इब्राहिम उत्पन्न हुआ मैं हूँ ! फिर से, प्रतिक्रिया में यहूदियों ने पत्थर उठाकर यीशु को मारना चाहा (यूहन्ना ८:५९) । यहूदी यीशु को क्यूँ पत्थर मारना चाहते अगर उसने कुछ ऐसा नहीं कहा था जिसे वो परमेश्वर कि निन्दा करना समझ रहे थे, अर्थात, परमेश्वर होने का दावा?
यूहन्ना १:१ कहता है "वचन परमेश्वर था ।" यूहन्ना १:१४ कहता है, "वचन देहधारी हुआ ।" यह स्पष्टता से संकेत करता है कि यीशु ही देह रूप में परमेश्वर है । प्रेरितों के काम २०:२८ हमें बताते हैं, " ... परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली करो, जिसे उस ने अपने लहू से मोल लिया है ।" कलीसिया को किसने अपने लहू से मोल लिया था? यीशु मसीह । प्रेरितों के काम २०:२८ कहता है कि परमेश्वर ने कलीसिया को अपने लहू से मोल लिया । इसलिए यीशु परमेश्वर है ।
थोमा, जो कि चेला था, यीशु के संबंध में कहता है, "हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर" (यूहन्ना २०:२८) । यीशु ने उसे नहीं सुधारा । तीतुस २:१३ हमें हमारे परमेश्वर तथा उद्धारकर्ता-यीशु मसीह के आने की प्रतीक्षा करने के लिए प्रोत्साहित करता है (२पतरस १:१ भी देखें) । इब्रानियों १:८ में पिता यीशु के बारे में कहता है, "परन्तु पुत्र से कहता है, कि हे परमेश्वर, तेरा सिंहासन युगानुयुग रहेगा, तेरे राज्य का राजदण्ड न्याय का राजदण्ड है ।"
प्रकाशित वाक्य में, एक र्स्वगदूत प्रेरित युहन्ना को निर्देश देता है कि वह केवल परमेश्वर ही को दण्डवत करे (प्रकाशितवाक्य १९:१०) । बाइबल में कई बार यीशु को दण्डवत किया गया है (मत्ती २:११;१ ४:३३; २८:९, १७; लूका २४:५२; यूहन्ना ९:३८) । वो लोगों को उसे दण्डवत करने से कभी नहीं डांटता । अगर यीशु परमेश्वर नहीं था, तो उसे लोगों से कहना चाहिये था कि उसे दण्डवत ना करें, जैसा कि प्रकाशित वाक्य में स्वर्गदूत ने किया था । बाइबल के कई अन्य पद तथा अनुच्छेद है जो यीशु की प्रभुता सिद्ध करते हैं ।
सबसे महत्वपूर्ण कारण कि यीशु को परमेश्वर होना था वो यह है कि अगर वो परमेश्वर नहीं है, तो उसकी मृत्यु पूरे संसार के पापों के जुर्माने की कीमत अदा करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती थी (१यूहन्ना २:२) केवल परमेश्वर ही ऐसा असीम जुर्माना भर सकता है । केवल परमेश्वर ही संसार के पाप अपने ऊपर ले सकता है (२कुरिन्थियों ५:२१), मर सकता है, तथा पुर्नजीवित हो सकता है-पाप तथा मृत्यु पर अपनी विजय प्रमाणित करते हुए ।
प्रश्न: क्या क्राइस्ट की प्रभुता बाइबल है?
उत्तर: यीशु के अपने बारे में विशेष दावों के साथ-साथ, उसके चेलों ने भी क्राइस्ट की प्रभुता की पहचान की । उन्होंने दावा किया कि यीशु के पास पापों को क्षमा करने का अधिकार था-वैसा जैसा कि केवल परमेश्वर ही कर सकता है, क्योंकि परमेश्वर ही है जो पाप से क्रोधित होता है (प्रेरितों के काम ५:३१; कुलुस्सियों ३:१३; भजन संहिता १३०:४; यिर्मयाह ३१:३४) । इसके करीबी संबंध में यह अंतिम दावा था, यीशु के लिए यह भी कहा जाता है कि "जो जीवतों और मृतकों के साथ न्याय करेगा" (२तिमुथियुस ४:१) । थोमा ने यीशु से कहा, "हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर !" (यूहन्ना २०:२८) । पौलुस यीशु के विषय में कहता है, "महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता" (तीतुस २:१३), तथा दर्शाता है कि देहधारण के पूर्व पहले यीशु "परमेश्वर के रूप में था (फिलिप्पियों २:५-८) । इब्रानियों का लेखक यीशु के संबंध में मत व्यक्त करता है कि, "हे परमेश्वर तेरा सिहांसन युगानुयुग रहेगा" (इब्रानियों १:८) । यूहन्ना अभिव्यक्त करता है, "आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन (यीशु) परमेश्वर था (यूहन्ना १:१) । बाइबल के उदाहरण जो क्राइस्ट की प्रभुता बताता हैं, (देखें प्रकाशित वाक्य १:१७; २:८; २२:१३; १कुरिन्थियों १०:४; १पतरस २:६-८; भजन संहिता १८:२; ९५:१; १पतरस ५:४; इब्रानियों १३:२०), परन्तु इनमें से एक ही यह बताने के लिए पर्याप्त है कि क्राइस्ट अपने शिष्यों के द्वारा प्रभु समझा जाता था ।
यीशु को वो भी नाम दिये गए हैं जो केवल यहोवा (परमेश्वर का औपचारिक नाम) के पुराने नियम में दिये गए हैं । पुराने नियम का नाम "उद्धारकर्ता" (भजन संहिता १३०:७; होशे १३:१४) को नए नियम में यीशु के लिए प्रयोग किया गया है (तीतुस २:१३; प्रकाशित वाक्य ५:९) । यीशु को इम्मानुएल कहा गया है। ("परमेश्वर हमारे साथ" मत्ती 1 में) । जर्कय्याह १२:१० में, यह यहोवा है जो कहता है, "तब वे मुझे ताकेंगे, अर्थात जिसे उन्होंने बेधा है ।" परन्तु नया नियम यह यीशु के सूली पर चढ़ाये जाने पर लागू होता है । (यूहन्ना १९:३७; प्रकाशित वाक्य १:७) । अगर वो यहोवा है, जिसे बेधा गया और ताका गया, तथा यीशु भी था जिसे बेधा गया और खोजा गया, फिर यीशु यहोवा है । पोलुस यशायाह ४५-२२-२३ को यीशु पर लागू करके फिलिप्पियों २:१०-११ में भाषान्तर करता है । इससे आगे, यीशु का नाम यहोवा के साथ प्रार्थना में भी लिया जाता है "परमेश्वर पिता, और हमारे प्रभु यीशु क्राइस्ट की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे" (गलतियों १:३; इफीसियों १:२) । अगर क्राइस्ट में प्रभुता नहीं थी तो यह परमेश्वर की निन्दा करना होगा । यीशु का नाम यहोवा के साथ यीशु के द्वारा नामकरण संस्कार की आज्ञा में प्रकट होता है "पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से" (मत्ती २८:१९; २कुरिन्थियों १३:१४ भी देखें) प्रकाशित वाक्य में यूहन्ना कहता है कि सारी सृष्टि ने क्राइस्ट (मेम्ना) का धन्यवाद दिया-अतः यीशु सृष्टि का हिस्सा नहीं है (५:१३)
जो कार्य केवल परमेश्वर के द्वारा किए जा सकते हैं वो यीशु के के दायित्व में आता है । यीशु ने केवल मुर्दों को ही नहीं जिलाया (यूहन्ना ५:२१; ११:३८-४४), तथा पाप क्षमा किये (प्रेरितों के काम ५:३१, १३:३८), उसने ब्रह्याण्ड की सृष्टि की तथा उसे बनाए रखा (यूहन्ना १:२; कुलुस्सियों १:१६-१७) ! यह तथ्य उस समय और शक्तिशाली बन जाता है जब हम विचार करते हैं कि यहोवा ने कहा था कि सृष्टि को बनाते समय यहोवा अकेला था (यशायाह ४४:२४) इससे आगे, यीशु में वो विशेषताएं हैं जो केवल प्रभु में हो सकती है; अनंतता (यूहन्ना ८:५८), सर्वव्यापकता (मत्ती १८:२०; २८:२०), सर्वज्ञता (मत्ती १६:२१), सर्वकार्यक्षमता (यूहन्ना ११:३८-४४) ।
अब, परमेश्वर होने का दावा करना या किसी को मूर्ख बनाना कि वह विश्वास करे कि वो सच्चाई है, एक अलग बात है तथा ऐसा होने का प्रमाण देना, कुछ और । क्राइस्ट ने अपने प्रभु होने के दावे को प्रमाणित करने के लिए कई चमत्कार प्रस्तुत किये तथा यहाँ तक कि मुर्दों में से भी जी उठा । यीशु के कुछ चमत्कार यह है, पानी को दारवरस बनाना (यूहन्ना २:७), पानी पर चलना (मत्ती १४:२५), भौतिक वस्तुओं को गुणा करना (यूहन्ना ६:११), अन्धों को (यूहन्ना ९:७) लॅगड़ों को (मरकुस २:३), तथा बीमारों को चंगा करना (मत्ती ९:३५; मरकुस १:४०-४२), यहाँ तक कि मुर्दों को जिन्दा करना (यूहन्ना ११:४३-४४; लूका ७:११-१५; मरकुस ५:३५) । इनके अतिरिक्त, यीशु स्वयं मुर्दों में से जी उठा । विधर्मियों के पुराणों के कहे जाने वाले देवताओं के मरने और उठने से बिल्कुल अलग, पुनरुत्थान जैसी बात किसी भी अन्य धर्म ने गंभीरता से दावा नहीं किया-तथा किसी भी अन्य दावे के पास इतनी अधिक शास्त्रों से अलग की जानकारी नहीं है । डा० गैरी हैबरमास के अनुसार, कम से कम बारह ऐतिहासिक सत्य ऐसे हैं जो कि गैर-मसीही आलोचनात्मक विद्वान भी मानेंगेः
1. यीशु की मृत्यु सलीब पर चढ़ाये जाने द्वारा हुई ।
2. उसे गाड़ा गया ।
3. उसकी मृत्यु उसके शिष्यों के निराश होने तथा उम्मीद छोड़ने का कारण बनी ।
4. उसकी कब्र को कुछ दिनों बाद खाली पाया गया (या पाने का दावा किया गया) ।
5. शिष्यों ने यह विश्वास किया कि उन्हें जी उठे यीशु के प्रकट होने का अनुभव हुआ ।
6. उसके बाद उनके शिष्य शंका से निवृत होकर निडर विश्वासियों में परिवर्तित हुए ।
7. यह संदेश आरंभिक कलीसिया में प्रचार का केंद्रबिंदु बना ।
8. इस संदेश का येरूशलम में प्रचार किया गया ।
9. इस प्रचार के परिणामस्वरूप (चर्च) कलीसिया का जन्म हुआ तथा उसका विकास हुआ ।
10. पुनरुत्थान के दिन (रविवार) को सबत (शनिवार) के दिन से उपासना के लिए बदला गया ।
11. याकूब, जो कि एक संशयवादी था, परिवर्तित हुआ जब उसने भी विश्वास किया कि उसने पुर्नजीवित यीशु को देखा ।
12. पौलुस, मसीही धर्म का शत्रु, एक अनुभव के द्वारा परिवर्तित हुआ जिसपर उसने जी उठे परमेश्वर के होने का विश्वास किया ।
अगर कोई इस विशेष सूची के ऊपर आपत्ति भी करे, तो भी, पुनरुत्थान को प्रमाणित करने तथा सुसमाचार को स्थापित करने के लिये केवल थोड़ों की ही आवश्यकता है : यीशु की मृत्यों, गाड़े जाने, पुनरुत्थान तथा प्रकट होने (१कुरिन्थियों १५:१-५) । हाँलाकि ऊपर लिखी वास्तविकताओं के व्याख्या के लिए कुछ सिद्धान्त हो सकते हैं परन्तु केवल पुनरुत्थान उन सब की व्याख्या करता है तथा जबावदेह है । आलोचक यह मानते हैं कि चेलों ने यह दावा किया कि उन्होंने जी उठे यीशु को देखा । ना तो झूठ, ना ही भ्रांति इस तरह से लोगों को परिवर्तित कर सकते हैं जैसा कि पुनरुत्थान ने किया । प्रथम, कि उनको क्या लाभ होता? मसीही धर्म इतना लोकप्रिय नहीं था तथा निश्चित रूप से वो पैसा नहीं बना सकते थे । दूसरा, झूठे लोग अच्छे बलिदानी नहीं बन सकते । अपने विश्वास के लिये शिष्यों की स्वेच्छा से भयावह मृत्यों को स्वीकार करना, नरुत्थान से अधिक अच्छी व्याख्या नहीं हो सकती । हाँ, कई लोग उन असत्यों के लिये मरते हैं जिन्हें वे सत्य समझते हैं, परन्तु कोई भी उस वस्तु के लिए नहीं मरता जिसे वो जानता हो कि वो असत्य है ।
सारांश यह है कि यीशु ने दावा किया कि वो यहोवा है, वो प्रभु है । केवल "परमेश्वर" नहीं, परन्तु "सच्चा परमेश्वर", उसके चेले (यहूदी लोग जो कि मूर्तिपूजा से डरे हुए हो सकते थे) उस पर विश्वास करते थे तथा उसे ऐसे बुलाते थे । यीशु ने अपने प्रभु होने के दावे को चमत्कारों के द्वारा प्रमाणित किया जिसमें कि संसार को हिला देने वाला पुनरुत्थान भी शामिल था । कोई भी अन्य प्राकल्पना के इन तथ्यों को नहीं समझा सकता ।
http://www.gotquestions.org/Hindi/Hindi-Eternal-life.html
John - यूहन्ना 11
23. यीशु ने उस से कहा, तेरा भाई जी उठेगा।
24. मारथा ने उस से कहा, मैं जानती हूं, कि अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा।
25. यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।
26. और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा, क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?
27. उस ने उस से कहा, हां हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूं, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आनेवाला था, वह तू ही है।
28. यह कहकर वह चली गई, और अपनी बहिन मरियम को चुपके से बुलाकर कहा, गुरू यहीं है, और तुझे बुलाता है।
29. वह सुनते ही तुरन्त उठकर उसके पास आई।
30. (यीशु अभी गांव में नहीं पहुंचा था, परन्तु उसी स्थान में था जहां मारथा ने उस से भेंट की थी।)
31. तब जो यहूदी उसके साथ घर में थे, और उसे शान्ति दे रहे थे, यह देखकर कि मरियम तुरन्त उठके बाहर गई है और यह समझकर कि वह कब्र पर रोने को जाती है, उसके पीछे हो लिये।
32. जब मरियम वहां पहुंची जहां यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पांवों पर गिर के कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता तो मेरा भाई न मरता।
33. जब यीशु न उस को और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ, और घबरा कर कहा, तुम ने उसे कहां रखा है?
34. उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, चलकर देख ले।
35. यीशु के आंसू बहने लगे।
36. तब यहूदी कहने लगे, देखो, वह उस से कैसी प्रीति रखता था।
37. परन्तु उन में से कितनों ने कहा, क्या यह जिस ने अन्धे की आंखें खोली, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता
38. यीशु मन में फिर बहुत ही उदास होकर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था।
39. यीशु ने कहा; पत्थर को उठाओ: उस मरे हुए की बहिन मारथा उस से कहने लगी, हे प्रभु, उस में से अब तो र्दुगंध आती है क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए।
40. यीशु ने उस से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी।
41. तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आंखें उठाकर कहा, हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं कि तू ने मेरी सुन ली है।
42. और मै जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उन के कारण मैं ने यह कहा, जिस से कि वे विश्वास करें, कि तू ने मुझे भेजा है।
43. यह कहकर उस ने बड़े शब्द से पुकारा, कि हे लाजर, निकल आ।
44. जो मर गया था, वह कफन से हाथ पांव बन्धे हुए निकल आया और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ तें यीशु ने उन से कहा, उसे खोलकर जाने दो॥
45. तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे, और उसका यह काम देखा था, उन में से बहुतों ने उस पर विश्वास किया।
कौन शक्ति है, को मृत लोगों जीवित? यीशु मसीह प्रभु!
Luke - लूका 24
1. परन्तु सप्ताह के पहिले दिन बड़े भोर को वे उन सुगन्धित वस्तुओं को जो उन्होंने तैयार की थीं, ले कर कब्र पर आईं।
2. और उन्होंने पत्थर को कब्र पर से लुढ़का हुआ पाया।
3. और भीतर जाकर प्रभु यीशु की लोथ न पाई।
4. जब वे इस बात से भौचक्की हो रही थीं तो देखो, दो पुरूष झलकते वस्त्र पहिने हुए उन के पास आ खड़े हुए।
5. जब वे डर गईं, और धरती की ओर मुंह झुकाए रहीं; तो उन्होंने उन ने कहा; तुम जीवते को मरे हुओं में क्यों ढूंढ़ती हो?
6. वह यहां नहीं, परन्तु जी उठा है; स्मरण करो; कि उस ने गलील में रहते हुए तुम से कहा था।
7. कि अवश्य है, कि मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ में पकड़वाया जाए, और क्रूस पर चढ़ाया जाए; और तीसरे दिन जी उठे।
8. तब उस की बातें उन को स्मरण आईं।
9. और कब्र से लौटकर उन्होंने उन ग्यारहों को, और, और सब को, ये बातें कह सुनाईं।
10. जिन्हों ने प्रेरितों से ये बातें कहीं, वे मरियम मगदलीनी और योअन्ना और याकूब की माता मरियम और उन के साथ की और स्त्रियां भी थीं।
11. परन्तु उन की बातें उन्हें कहानी सी समझ पड़ीं, और उन्होंने उन की प्रतीति न की।
12. तब पतरस उठकर कब्र पर दौड़ गया, और झुककर केवल कपड़े पड़े देखे, और जो हुआ था, उस से अचम्भा करता हुआ, अपने घर चला गया॥
13. देखो, उसी दिन उन में से दो जन इम्माऊस नाम एक गांव को जा रहे थे, जो यरूशलेम से कोई सात मील की दूरी पर था।
14. और वे इन सब बातों पर जो हुईं थीं, आपस में बातचीत करते जा रहे थे।
15. और जब वे आपस में बातचीत और पूछताछ कर रहे थे, तो यीशु आप पास आकर उन के साथ हो लिया।
16. परन्तु उन की आंखे ऐसी बन्द कर दी गईं थी, कि उसे पहिचान न सके।
17. उस ने उन से पूछा; ये क्या बातें हैं, जो तुम चलते चलते आपस में करते हो? वे उदास से खड़े रह गए।
18. यह सुनकर, उनमें से क्लियुपास नाम एक व्यक्ति ने कहा; क्या तू यरूशलेम में अकेला परदेशी है; जो नहीं जानता, कि इन दिनों में उस में क्या क्या हुआ है?
19. उस ने उन से पूछा; कौन सी बातें? उन्होंने उस से कहा; यीशु नासरी के विषय में जो परमेश्वर और सब लोगों के निकट काम और वचन में सामर्थी भविष्यद्वक्ता था।
20. और महायाजकों और हमारे सरदारों ने उसे पकड़वा दिया, कि उस पर मृत्यु की आज्ञा दी जाए; और उसे क्रूस पर चढ़वाया।
21. परन्तु हमें आशा थी, कि यही इस्त्राएल को छुटकारा देगा, और इन सब बातों के सिवाय इस घटना को हुए तीसरा दिन है।
22. और हम में से कई स्त्रियों ने भी हमें आश्चर्य में डाल दिया है, जो भोर को कब्र पर गई थीं।
23. और जब उस की लोथ न पाई, तो यह कहती हुई आईं, कि हम ने स्वर्गदूतों का दर्शन पाया, जिन्हों ने कहा कि वह जीवित है।
24. तब हमारे साथियों में से कई एक कब्र पर गए, और जैसा स्त्रियों ने कहा था, वैसा ही पाया; परन्तु उस को न देखा।
25. तब उस ने उन से कहा; हे निर्बुद्धियों, और भविष्यद्वक्ताओं की सब बातों पर विश्वास करने में मन्दमतियों!
26. क्या अवश्य न था, कि मसीह ये दुख उठाकर अपनी महिमा में प्रवेश करे?
27. तब उस ने मूसा से और सब भविष्यद्वक्ताओं से आरम्भ करके सारे पवित्र शास्त्रों में से, अपने विषय में की बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया।
28. इतने में वे उस गांव के पास पहुंचे, जहां वे जा रहे थे, और उसके ढंग से ऐसा जान पड़ा, कि वह आगे बढ़ना चाहता है।
29. परन्तु उन्होंने यह कहकर उसे रोका, कि हमारे साथ रह; क्योंकि संध्या हो चली है और दिन अब बहुत ढल गया है। तब वह उन के साथ रहने के लिये भीतर गया।
30. जब वह उन के साथ भोजन करने बैठा, तो उस ने रोटी लेकर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उन को देने लगा।
31. तब उन की आंखे खुल गईं; और उन्होंने उसे पहचान लिया, और वह उन की आंखों से छिप गया।
32. उन्होंने आपस में कहा; जब वह मार्ग में हम से बातें करता था, और पवित्र शास्त्र का अर्थ हमें समझाता था, तो क्या हमारे मन में उत्तेजना न उत्पन्न हुई?
33. वे उसी घड़ी उठकर यरूशलेम को लौट गए, और उन ग्यारहों और उन के साथियों को इकट्ठे पाया।
34. वे कहते थे, प्रभु सचमुच जी उठा है, और शमौन को दिखाई दिया है।
35. तब उन्होंने मार्ग की बातें उन्हें बता दीं और यह भी कि उन्होंने उसे रोटी तोड़ते समय क्योंकर पहचाना॥
36. वे ये बातें कह ही रहे ये, कि वह आप ही उन के बीच में आ खड़ा हुआ; और उन से कहा, तुम्हें शान्ति मिले।
37. परन्तु वे घबरा गए, और डर गए, और समझे, कि हम किसी भूत को देखते हैं।
38. उस ने उन से कहा; क्यों घबराते हो और तुम्हारे मन में क्यों सन्देह उठते हैं?
39. मेरे हाथ और मेरे पांव को देखो, कि मैं वहीं हूं; मुझे छूकर देखो; क्योंकि आत्मा के हड्डी मांस नहीं होता जैसा मुझ में देखते हो।
40. यह कहकर उस ने उन्हें अपने हाथ पांव दिखाए।
41. जब आनन्द के मारे उन को प्रतीति न हुई, और आश्चर्य करते थे, तो उस ने उन से पूछा; क्या यहां तुम्हारे पास कुछ भोजन है?
42. उन्होंने उसे भूनी मछली का टुकड़ा दिया।
43. उस ने लेकर उन के साम्हने खाया।
44. फिर उस ने उन से कहा, ये मेरी वे बातें हैं, जो मैं ने तुम्हारे साथ रहते हुए, तुम से कही थीं, कि अवश्य है, कि जितनी बातें मूसा की व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं और भजनों की पुस्तकों में, मेरे विषय में लिखी हैं, सब पूरी हों।
45. तब उस ने पवित्र शास्त्र बूझने के लिये उन की समझ खोल दी।
46. और उन से कहा, यों लिखा है; कि मसीह दु:ख उठाएगा, और तीसरे दिन मरे हुओं में से जी उठेगा।
47. और यरूशलेम से लेकर सब जातियों में मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार, उसी के नाम से किया जाएगा।
48. तुम इन सब बातें के गवाह हो।
49. और देखो, जिस की प्रतिज्ञा मेरे पिता ने की है, मैं उस को तुम पर उतारूंगा और जब तक स्वर्ग से सामर्थ न पाओ, तब तक तुम इसी नगर में ठहरे रहो॥
50. तब वह उन्हें बैतनिय्याह तक बाहर ले गया, और अपने हाथ उठाकर उन्हें आशीष दी।
51. और उन्हें आशीष देते हुए वह उन से अलग हो गया और स्वर्ग से उठा लिया गया।
52. और वे उस को दण्डवत करके बड़े आनन्द से यरूशलेम को लौट गए।
53. और लगातार मन्दिर में उपस्थित होकर परमेश्वर की स्तुति किया करते थे॥
John - यूहन्ना 8
12. तब यीशु ने फिर लोगों से कहा, जगत की ज्योति मैं हूं; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।
...
23. उस ने उन से कहा, तुम नीचे के हो, मैं ऊपर का हूं; तुम संसार के हो, मैं संसार का नहीं।
24. इसलिये मैं ने तुम से कहा, कि तुम अपने पापों में मरोगे; क्योंकि यदि तुम विश्वास न करोगे कि मैं वहीं हूं, तो अपने पापों में मरोगे।
...
36. सो यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे।
Hebrews - इब्रानियों 9
27. और जैसे मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है।
28. वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ और जो लोग उस की बाट जोहते हैं, उन के उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप के दिखाई देगा॥
02. 365 Messianic Prophecies = fulfilled =
02. 365 Prophéties Messianiques = réalisé =
03. Dear muslim, let me tell you why i believed
04. ISRAEL and the WORLD'S MOCK TRIAL
05. Hidden PROOF that the QURAN is from a false Gabriel
06. Islamic And Mormonism Similarities
07. 7 signs of Yeshua Ha'Mashiach’s (Jesus Christ) return & Prophecies
08. Have you eternal Life? Your sins are forgiven? How do you know for sure?
09 a. The True Origin of Allah: The Archaeological Record Speaks!
09 b. The cult of the Moon god
10. Who is Allah?
11. Muhammad spoke the Satanic verses: The Evidence and Proof!
12. Mathematics cannot be wrong: The Messianic Prophecy are fulfilled!
13. Why I believe Islam and Islamic belief are false
14. Comparison: Jesus Christ with Muhammad & Christianity with Islam
15. The Holy Bible
16. = Video = Arabic
17. = Video = Pakistan
18. = Video = Iran
19. = Video = India
20. Science Speaks (Peter W. Stoner)
https://sites.google.com/site/hbtvnet/02-365-messianic-prophecies-fulfilled
...यीशु मसीह शब्द है, शब्द परमेश्वर है, यीशु मसीह परमेश्वर है!
https://vimeo.com/43821875
http://youtu.be/I4L9HPBL7n8
Zechariah - जकर्याह 12
1. इस्राएल के विषय में यहोवा का कहा हुआ भारी वचन: यहोवा को आकाश का तानने वाला, पृथ्वी की नेव डालने वाला और मनुष्य की आत्मा का रचने वाला है, उसकी यह वाणी है,
...
9. और उस समय मैं उन सब जातियों को नाश करने का यत्न करूंगा जो यरूशलेम पर चढ़ाई करेंगी॥
10. और मैं दाऊद के घराने और यरूशलेम के निवासियोंपर अपना अनुग्रह करनेवाली और प्रार्यना सिखानेवाली आत्मा उण्डेलूंगा, तब वे मुझे ताकेंगे अर्यात् जिसे उन्होंने बेधा है, और उसके लिथे ऐसे रोएंगे जैसे एकलौते पुत्र के लिथे रोते-पीटते हैं, और ऐसा भारी शोक करेंगे, जैसा पहिलौठे के लिथे करते हैं।
Revelation - प्रकाशित वाक्य 1
7. देखो, वह बादलों के साथ आने वाला है; और हर एक आंख उसे देखेगी, वरन जिन्हों ने उसे बेधा था, वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे। हां। आमीन॥
8. प्रभु परमेश्वर वह जो है, और जो था, और जो आने वाला है; जो सर्वशक्तिमान है: यह कहता है, कि मैं ही अल्फा और ओमेगा हूं॥
...
17. जब मैं ने उसे देखा, तो उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा और उस ने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रख कर यह कहा, कि मत डर; मैं प्रथम और अन्तिम और जीवता हूं।
18. मैं मर गया था, और अब देख; मैं युगानुयुग जीवता हूं; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियां मेरे ही पास हैं।
John - यूहन्ना 19
37. फिर एक और स्थान पर यह लिखा है, कि जिसे उन्होंने बेधा है, उस पर दृष्टि करेंगे॥
यीशु कौन है?
यीशु परमेश्वर का मेम्ना है, जो जगत के पाप उठा ले जाता है।
सिद्ध न्याय प्राप्त करने के लिए यीशु को परमेश्वर के सिद्ध बलिदान के रूप में प्रदान किया गया। सब समय के सब पाप के लिए एक ही बलिदान। (यूहन्ना 1:29, इब्रानियों 10:10)
यीशु में विश्वास के द्वारा, परमेश्वर द्वारा हमारे पाप भुला दिए जाते हैं, और हम उसकी धार्मिकता प्राप्त करते हैं। हम परमेश्वर के सिंहासन के पास आ सकते हैं और उसे अपना पिता कहकर सम्बोधित कर सकते हैं। (मत्ती 6:9, लूका 11:2) यीशु ने इसे सम्भव बनाया। (यूहन्ना 14:6)
बुनियादी तौर से मैं एक अच्छा व्यक्ति हूँ। क्या फिर भी मुझे यीशु की जरूरत है?
पाप का अर्थ है "लक्ष्य से चूकना", सिद्ध न्याय में कमी रह जाना। पाप इरादतन अथवा अनजाने में हो सकता है। आपके साथ जो गलत किया गया, और पाप के रूप में दूसरों के साथ आपने जो गलत किया उस पर ध्यान दें। अति उत्तम इरादों के साथ भी हम लक्ष्य से चूक गए हैं। (रोमियों 3:23)(रोमियों 6:23)
जिस प्रकार के जीवन हमने जीए, उसकी परवाह किए बिना, जीवन के लिए परमेश्वर का वरदान सबके लिए प्रस्तुत किया गया है। उसके पुत्र के बलिदान के द्वारा परमेश्वर के साथ हमारे सम्बन्ध को पुन: जोड़ा गया है। जब हम यह स्वीकार करते हैं कि यीशु हमारे पापों के लिए मरा, और मृतकों में से जीवित हुआ, तब हम परमेश्वर की सन्तान बन जाते हैं। (गलातियों 3:26)(रोमियों 10:9)
हमारे भले कार्य परमेश्वर को हमसे अधिक प्रेम करने योग्य नहीं बनाते, और ना ही हमारे पाप परमेश्वर को हमसे कम प्रेम करने योग्य बनाते हैं। जबकि हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा, इस प्रकार परमेश्वर ने हमारे प्रति अपना प्रेम दिखाया। (रोमियों 5:8) यदि परमेश्वर ने अपने पुत्र को रोके नहीं रखा, जबकि हम पापी ही थे, तब वह हमसे उसके सन्तान होने के नाते वह हमसे क्या कुछ न रख छोड़ेगा?
जब आपके जीवन में सब कुछ गड़बड़ हो जाता हैं, और आप स्वयं को अयोग्य समझने लगते हैं, तब दबाव में न आएँ। हम सब ही अयोग्य हैं, फिर भी, परमेश्वर हमसे प्रेम करता है। (रोमियों 3:23)(1 तीमुथियुस 1:15)
बदले जीवनों के प्रमाण स्वरूप हमारे जीवनों को भले काम उत्पन्न करना चाहिए, परन्तु परमेश्वर के सामने हमारे भले काम हमें धर्मी नहीं ठहराते। (इफिसियों 2:8, मत्ती 15:4 ,मत्ती 5:16) यह सब यीशु के बारे में हैं।
परमेश्वर पापियों से घृणा नहीं करता। उसका हृदय लोगों के लिए है। उसकी इच्छा है कि हम पश्चाताप करें, उसकी ओर मुडें, और उसके जीवन का वरदान प्राप्त करें। (लूका 5:32)(रोमियों 5:8)(लूका 15:10)
यीशु को क्यों "मसीह" कहा गया?
ख्रिस्त (मसीह) परमेश्वर का मेम्ना है। उसके लिए मूसा और नबियों द्वारा बताया गया। (व्यवस्थाविवरण 18:15)(प्रेरितों के काम 3:22)(यूहन्ना 5:46) जहाँ प्रत्येक वर्ष पापों के लिए मेम्नों का बलिदान चढ़ाया जाता था, परमेश्वर का मेम्ना सिद्ध बलिदान है। सब समय के सब पाप के लिए एक ही बलिदान। (यूहन्ना 1:29)(इब्रानियों 10:10) इब्रानियों 10:10
अभी ही विश्वास के द्वारा प्रार्थना करने से आप मसीह को स्वीकार कर सकते हैं:
(प्रार्थना परमेश्वर से बात करना है)
परमेश्वर आपके हृदय को जानता है इसलिए वह आपके द्वारा बोले जानेवाले शब्दों के प्रति नहीं पर आपके हृदय की मनोवृत्ति पर ध्यान देता है। एक सुझाई गई प्रार्थना इस प्रकार है:
"प्रभु यीशु, मुझे आपकी आवश्यकता है। मेरे पापों के लिए क्रूस पर मरने के लिए मैं आपको धन्यवाद देता/देती हूँ। मैं अपने जीवन का द्वार खोलता/खोलती हूँ और आपको अपना उद्धारकर्ता और प्रभु ग्रहण करता/करती हूँ। मेरे पापों को क्षमा करने और मुझे अनन्त जीवन देने के लिए आपका धन्यवाद। मेरे जीवन के सिंहासन का नियंत्रण अपने हाथों में लें। आप मुझे वैसा व्यक्ति बनाएँ जैसा कि आप चाहते हैं कि मैं बनूँ।"
क्या यह प्रार्थना आपके हृदय की इच्छा को व्यक्त करती है? यदि यह करती है, तो मैं आपको निमंत्रण देता हूँ कि ठीक अभी ही इस प्रार्थना को कीजिए और यीशु मसीह आपके जीवन में आएगा, जैसी कि उसने प्रतिज्ञा की है।
Examine Yourself
http://youtu.be/Ky8dTyPpiAo
The Cost of Not Following Christ
http://youtu.be/E8jY6wJ0gwQ
How Much Do You Know God?
http://youtu.be/sdArdf-NmzQ
A Sermon on Christ for atheists
http://youtu.be/aMXDYeYza0I
Don't Waste Your Life
http://youtu.be/9yFwMK9Ri1A
The depth of the Gospel 1
http://youtu.be/Aac9fdN6fYs
The depth of the Gospel 2
http://youtu.be/PBj8uBUzmuc
I'm Not Ashamed of the Scandal
http://www.youtube.com/watch?
The perfect sacrifice of Christ
http://youtu.be/K50iRRl0cyo
Regeneration vs Decisionism
http://youtu.be/S-Mwl2JU2Sk
WARNING!
From yoga to Lord Jesus Christ - a strong testimony!
https://vimeo.com/45196918
Deception is the name of the game. Yoga is NOT what it appears to be dear friends...I tell you from personal experience.
1 Corinthians 10
21. " Ye cannot drink the cup of the Lord, and the cup of devils: ye cannot be partakers of the Lord's table, and of the table of devils."
Know that Satan, the enemy of your soul, can turn into an angel of light, do you know he comes in several forms (gods) to deceive you?
पता है कि अपनी आत्मा के दुश्मन, शैतान, प्रकाश की एक दूत में बदल सकते हैं, तुम्हें पता है कि वह कई रूपों (देवता) में आता है आप को धोखा?
2.Corinthians 11
14. And no marvel; for Satan himself is transformed into an angel of light.
15. Therefore it is no great thing if his ministers also be transformed as the ministers of righteousness; whose end shall be according to their works.
Yoga is not just stretching or physical exercise, is a demonic way, a deception.
One way of entry for Satan in your life.
Stay away from the Catholics and Orthodox "christians", they don't listen and don't follow The Lord Jesus Christ.
They hate the words of Jesus Christ, The Gospel.
They are enemies against all real christians (evangelical).
Catholicism and Orthodox are pagans, demonic way, they have nothing in common with Jesus Christ. They are idolaters because they worship Mary, saints, images, statues, graves...
They persecuted evangelical Christians (disciples of The Lord Jesus Christ).
Catholic killed millions of people: jews, muslims, including many true Christians, and Orthodox persecuted in many countries disciples of Jesus Christ (evangelical christians who support Israel)
प्रश्न: उन लोगों का क्या होता है जिन्हें यीशु के बारे में जानने का मौका ही नहीं मिला है? क्या परमेश्वर ऐसे व्यक्ति को नाश करेगें जिसने उसके बारे में कभी नहीं सुना हो?
http://www.gotquestions.org/Hindi/Hindi-never-heard.html
प्रश्न: समलैंगिकता के विषय में बाइबल क्या कहती है? क्या समलैंगिकता एक पाप है?
http://www.gotquestions.org/Hindi/Hindi-homosexuality-sin.html